Category: हिंदी साहित्य

हिंदी विचार

घातक कोरोना 3

घातक कोरोना

घनघनाते घंटनाद से आयीं घड़ी कोरोंना की   घिघियाती घबराती घर भगने को घर के घनाभ में घुसा दिया  घनाभ के घेर में घमंड के घनत्व का बड़ाव-घटाव हुआ  घड़ी घड़ी घटेगा करोना की घनघनाहट पर घसीटना है घातक। घबराया है घरवाला,घरवाली और घरवाले, चलेगा कैसे घर घाम,घमौरी और घर्षण के घनचक्कर का घर नहीं है मन में  घड़ियाल करोना,घनिष्ठता में घटियापन घाव कर रहा है  घाट पर घबरायी घटनाओं के घंटनाद का घमाघम घेराव है । घिग्घी बंद है घने,घुंघराले,घूँघट,घुड़सवार,घुसपैठी,घुमंतू की  घूलमिल और घूम-फिर नहीं सकते,घूघरू पहन घृणित हो गए  घायल है घिस्सू घनाभ के घेरे में,घोंघा बसंत हो गया है घाटी घर घनाभ और घात के घेरे में घर गया है घुमक्कड़,घुड़सवार। घंटा बजा घड़ियाल बजा पर नहीं घटा घृणित का घात घुट्टी बना-बनाकर घोट लिया पर नही घटा घनचक्कर घूँघट पहनकर घूम रहा है घूँट-२ कर घिस रहा है घिसू घूप्प है घूर रहा है,घुसपैठ में है,टीका को घुसाने दे घिसू। 

संघर्ष अभी शेष है 2

संघर्ष अभी शेष है

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता “समर शेष है” से प्रेरित होकर मैंने भी यहाँ कुछ लिखना चाहा है आशा है कि आपको पसंद आएगी संघर्ष अभी शेष है, विद्वानों में रोष है, जब...

मन व्यथित है 4

मन व्यथित है

मन व्यथित है सुबह जल्दी उठने से, दुविधा है मन में नाश्ते में क्या खाया जाय, झल्लाहट है बच्चे को तैयार कर स्कूल भेजने की, ऑफिस के रास्ते में ट्रैफिक जाम से और, कार...

बादल 0

बादल

आसमान में बादल आए काले-भूरे बादल आए गरज-गरज कर बादल आए रिमझिम-रिमझिम बूंदे लाए I लहराते इठलाते आए पेड़ो पर हरियाली लाए कोयल, तोता, मोर बगिया में आए I झूम झूम कर नाचे गाये...

वर्तिका की पाँचवी जन्मदिवस 1

वर्तिका की पाँचवी जन्मदिवस

वर्तिका के जन्म दिवस (वैशाख मास, दिवस बुद्ध पूर्णिमा ) के अवसर पर पापा और माँ की भेट। दीपक की लौ तरह अपनी ही धुन में रमी कभी हसती , कभी हसाती, लोगो को...

।। दुर्गा चालीसा ।। 0

।। दुर्गा चालीसा ।।

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥ शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥ रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन...

समय 0

समय

आज के आप धापी में, जीवन के भागा – भागी में, पैसे की  भोग में, चैन की खोज में, अपनो से होड़ में। आज का मानव भूल गया, कि  मैं कौन हूँ, कहाँ जाना है...

सूक्ष्म रामायण-दशहरा के अवसर पर 3

सूक्ष्म रामायण-दशहरा के अवसर पर

मिथिला के स्वयंवर राम ने जनक पुत्री सीता का वरण किया। मंथरा  सुझाव पर कैकेयी ने दसरथ को वर का स्मरण दिया। भरत को अयोध्या और राम को १४ साल का वनवास दिया। पिता,माँ,भाईयो और प्रजा को छोड़,राम ने जंगल में वनवास...

राम धुन 0

राम धुन

गांधीजी के जन्मदिवस पर उनकी रामधुन   मूल –श्री नम: रामायण लेखक–लक्ष्मणाचार्य रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम सुंदर विग्रह मेघश्याम गंगा तुलसी शालग्राम भद्रगिरीश्वर सीताराम भगत-जनप्रिय सीताराम जानकीरमणा सीताराम जयजय राघव सीताराम प्रसिद्ध संस्करण -विष्णु...

एक पिता 1

एक पिता

दूर  में क्या है, उचे से क्या दिखता है थी बचपन की एक बड़ी इच्छा। ऊपर उडू , पंछियो सा पंख फैलाये उड़ता रहूँ स्वछंद होकर आसमान में थी बचपन की एक बड़ी इच्छा।...