समय

आज के आप धापी में,
जीवन के भागा – भागी में,
पैसे की  भोग में,
चैन की खोज में,
अपनो से होड़ में।
आज का मानव भूल गया,
कि  मैं कौन हूँ,
कहाँ जाना है मुझे,
क्या पाना है मुझे,
क्यों पाना है मुझे,
कैसे भी  पाना है।
आज का मानव भूल गया,
कि मेरे पास देखने दो आँख है,
सूघने को एक नाक है,
दो हाथ और दो पाव है,
धड़कने को एक दिल है,
बोलने को एक मुख भी है,
सोचने को दिमाक है।
इनसे बढ़कर रिस्तो का प्यार है,
मित्रो का  साथ है,
और बहुत कुछ है,
खोज कर देखो तो सही,
जरा कभी रूक कर देखो तो सही,
अनुभूति करके देखो  सही।
समय कभी रूका  नहीं है,
और ना ही कोई रोक पायेगा,
और ना  ही गया वापस आएगा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *