सूक्ष्म रामायण-दशहरा के अवसर पर

मिथिला के स्वयंवर राम ने जनक पुत्री सीता का वरण किया।

मंथरा  सुझाव पर कैकेयी ने दसरथ को वर का स्मरण दिया।

भरत को अयोध्या और राम को १४ साल का वनवास दिया।

पिता,माँ,भाईयो और प्रजा को छोड़,राम ने जंगल में वनवास लिया।

पुत्र पीङा और श्रवण मात-पिता के श्राप ने दसरथ  से स्वर्गवास लिया।

लक्ष्मण ने अपनी पत्नी उर्मिला को छोड़ भाई का साथ दिया।

भरत राज अयोध्या का छोड़, वन की ओर  प्रस्थान किया।

भाई की चरण पादुका के साथ अयोध्या को एक आस  दिया।

पादुका को सिंघासन पर रखकर अयोध्या को राम-नाम का राज दिया।

बोलो सियावर रामचन्द्र की जय।।

सुपर्णखा ने नाक कटाया, भाई रावण से आस जगाया।

रावण ने सीता का हरण किया, जटायु का सहरण किया।

सीता खोज में अयोध्या कुमार निकला,जटायु से संज्ञान लिया।

राम ने शबरी का जूठा बेर अपना लिया साथ में उध्दार किया।

देख वन में अनजान सुकुमारो को सुग्रीव ने हनुमान को भेज दिया।

ऋष्यमुख पर्वत पर हनुमान ब्राम्हिन भेष में कुमारो  से भेट किया।

सुन कुमारो का परिचय हनुमान ने अपने को असली रूप में पेश किया।

सुन सुग्रीव की व्यथा को राम ने किष्किन्धा वापस का वचन दिया।

बाली को मारकर सुग्रीव का सम्मान, वानर सेना और अंगद का साथ लिया।

बोलो सियावर रामचन्द्र की जय।।

सीता माता को खोजने में हनुमान ने लंका लांघ दिया।

अशोक वाटिका पहुंचकर भगवन की अंगूठी से माता का विश्वास लिया।

पेट की भूख मिटाकर अशोक वाटिका का नाश और लंका में हाहाकार किया।

मेघनाद ने नागपाश से बांधकर हनुमान को रावण के दरबार में पेश किया।

जानकर परिचय रावण ने पूछ में आग लगाकर हनुमान को दंड दिया।

हनुमान ने अति सूक्ष्म रूप धरा और लंका को आग के भेट किया।

आग से हाहाकार हुयी लंका,रावण का दंड लंका को अभिशाप होया।

समुन्द्र ने प्रतिरोध किया तो को भगवान ने अपना धैर्य तोड़ दिया।

नल ने भगवान का उद्घोष किया,राम लिखा पत्थर समुन्द्र में तैर गया।

बोलो सियावर रामचन्द्र की जय।।

वानर सेना ने समुन्द्र को पार किया, लंका में तम्बू गाड़ दिया।

विभीषण ने भाई का साथ छोड़ दिया, भगवन का दामन थाम लिया।

दोनों तरफ की सेना भीड़ गयी, घनघोर युद्ध छिड़ गया।

पुत्रो का त्वरित अंत देखकर, रावण में मेघनाद को कमान दिया।

मेघनाद ने सुग्रीव की सेना को पस्त किया, राम-लक्ष्मण को चुनौती दिया।

मेघनाद की शक्ति ने लक्ष्मण को मूर्छित किया,  भगवन को द्रवित किया।

सुषेण वैद की सुझाव पर हनुमान ने हिमालय से  संजीविनी भेट किया।

संजीविनी ने लक्ष्मण की मूर्छा तोड़ा , भगवन का अश्रु पोछ दिया।

लक्ष्मण ने मेघनाद का वध किया, रावण के अहंकार को तोड़ दिया।

बोलो सियावर रामचन्द्र की जय।।

कुम्भकर्ण ने भाई का साथ दिया, साथ में प्राण त्याग दिया।

पुत्र खोया, भाई खोया फिर भी रावण अहंकार का साथ दिया।

इतनी हानि के बाद भी अहंकार और युद्ध को आत्मसात किया।

धन्य हो ऐसी प्रजा, पुत्र और भाई जो अपने राजा का साथ दिया।

अंत में रावण स्वयं युद्ध भूमि में आया दसो सिरो को साथ लाया।

युद्ध भूमि में हाहाकार मचाया ,भगवान को मति भ्रम कराया।

भगवान ने बाणो का बौछार किया,फिर भी रावण ने हाहाकार किया।

मतली ने भगवान  को सूत्र दिया, राम ने प्रत्यंचा से बाण छोड़ दिया।

रावण का संहार हुआ, देवो ने आकाश से पुष्पों का बौछार किया।

बोलो सियावर रामचन्द्र की जय।।

 

3 Responses

  1. Abhinav says:

    Bahut Sahi Chandel Babu 🙂

  2. MNIT Alumni says:

    Very nice!

  3. Manoj Singh says:

    Very nice Bhaiya

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