Category: हिंदी साहित्य

मानवती 0

मानवती

मानवती रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के जन्म दिवस के अवसर पर उनकी एक प्यारी कविता (२३ सितम्बर १९०८ -२४ अप्रैल १९७४) रूठ गई अबकी पावस के पहले मानवती मेरी की मैंने मनुहार बहुत , पर...

मेरे बचपन की प्यारी कविता 0

मेरे बचपन की प्यारी कविता

उठो लाल अब आँखें खोलो पानी लायी मुह धो लो बीती रात कमल दल फुले जिनके ऊपर भावरे झूले   चिढिया चहक उठी पेड़ो पर बहने लगी हवा आती सुंदर   नभ में न्यारी...

कबीर के दोहे 0

कबीर के दोहे

पहले शब्द पहचानिये, पीछे कीजे मोल । पारखी परखे रतन को, शब्द का मोल ना तोल॥ निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय। बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय॥ धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब...

कपिला 0

कपिला

कपिला राधेपुर गांव के जोखयी चाचा की एकलौती संतान थी। जोखयी ज्यादा पड़े लिखे नहीं  थे। दसवी की परीक्षा बड़ी मुस्किल से पांच बार में पास किया था। पास होने की खुशी जोखयी के पिता बर्दास्त नहीं कर सके और...

व्यथा 0

व्यथा

ऋचा रोते-रोते  माँ के पास आई “माँ.…माँ ” क्या हुआ माँ ने पूछा। “रिया ने मेरी गुड़िया का पैर तोड़ दिया और किचन सेट भी बिगाड़ दिया। ” कोई बात नहीं हम नयी गुड़िया लायेगे...

सड़क का रोमांच 0

सड़क का रोमांच

अरे ६ बज गए। ये अलार्म  भी न। लीलावती अरे!!! यार तुमने  उठाया क्यों नहीं। कल बहुत थके हुए थे इसलिए  सोचा थोड़ा सो लेने दूँ। अच्छा जल्दी तैयार होकर आओ तब तक मैं रिया को तैयार...

एक असफल की कहानी 0

एक असफल की कहानी

आज कल मोदी जी की हर जगह चर्चा हो रही है। रोहित शर्मा भी दो शतक बना दिए क्रिकेट में। कुछ दिन पहले भारत के वैज्ञानिको की बड़ी चर्चा हो रही थी। अरे वही...

सोच !!!!!!!!!!!!!!!!! 0

सोच !!!!!!!!!!!!!!!!!

एक बार मै कुछ  सोच रहा था तभी यह  ख्याल आया की हम सोचते क्यो  है? उससे बड़ा सवाल हम क्या सोचते है? क्या हमें सोचना चाहिए? क्यों सोचना चाहिए ? क्या हम जो सोच...