वर्तिका की पाँचवी जन्मदिवस
वर्तिका के जन्म दिवस (वैशाख मास, दिवस बुद्ध पूर्णिमा ) के अवसर पर पापा और माँ की भेट।
दीपक की लौ तरह अपनी ही धुन में रमी
कभी हसती , कभी हसाती, लोगो को पुक्का बनाती है
कड़वी बातो से रो जाती या फिर बिदक जाती है
अपनी धुन में अपना ही गाना गुनगुनाती है
ईश्वर की तूलिका से बनी, ऐसी है वर्तिका।
माँ की सहेली, माँ की माँ और कभी बेटी भी है
कभी बच्चों की मैम बनकर, कभी पड़ोस की आंटी बनकर
कभी दुकान वाला, तो कभी बुटीक वाली ऑन्टी बनकर
और कभी डॉक्टर ऑन्टी या फिर कभी मेड ऑन्टी बनकर
अपने में ही हवा से खेल लेती है वर्तिका।
नाना को नाम से पुकारकर पर-नानी को चकित कर देती है
तो कभी नानी को लौकी की सब्जी बनने पर विवश कर देती है
दादा- दादी की रुनझुन है तो
पापा की प्यारी और माँ की दुलारी
दूर अंतरिक्ष से आई प्रकाश की किरण है वर्तिका।
मैकडोनाल्ड की वनीला, हल्दीराम का छोला-बटुरा
कच्चा जीरा, माँ के हाथ की बनी पास्ता और
सूखे चावल की जितनी दीवानी
बाकि के व्यंजन से उतनी ही परेशानी है
भिंडी की दीवानी, अपने रसोई सेट की रानी है वर्तिका।
बार्बी की फैन, छुटकी की सहेली और सिंड्रेला की दीवानी है
फ्रोजेन की ऐना और रपुज्जल भी बहुत प्यारी है
पर छोटा भीम, मोगली या फिर बेन-१० से भी नहीं कोई परेशानी
डोनाल्ड डक, मिकी माउस, औगि और कृष्णा भी खूब भाते है
माँ की भूमिजा और पापा की सीता है वर्तिका।
Nice one varun and Happy Birthday To your Angel