मेरे बचपन की प्यारी कविता
उठो लाल अब आँखें खोलो
पानी लायी मुह धो लो
बीती रात कमल दल फुले
जिनके ऊपर भावरे झूले
जिनके ऊपर भावरे झूले
चिढिया चहक उठी पेड़ो पर
बहने लगी हवा आती सुंदर
बहने लगी हवा आती सुंदर
नभ में न्यारी लाली छाई
धरती ने प्यारी छवि पाई
धरती ने प्यारी छवि पाई
ऐसा सुन्दर समय न खो
मेरे प्यारे अब मत सो
मेरे प्यारे अब मत सो
लेखक – अयोध्या सिंह उपाध्याय
